Importance of Agriculture in Indian Economy.
विकासशील अर्थव्यवस्था मूलतः प्राथमिक अर्थव्यवस्था रही है भारत भी मूलत कृषि प्रधान देश है कृषि हमारी अर्थव्यवस्था की रीढ़ है ।
***भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि के महत्व का अनुमान निम्नलिखित तथ्यों से लगाया जा सकता है। ***
1. राष्ट्रीय आय में योगदान - भारत की राष्ट्रीय आय का सर्वाधिक अंश कृषि संबंधी व्यवसायों से ही प्राप्त होता था आयोजन काल में इस में निरंतर कमी आई है 2012 13 में लगभग 21 प्रतिशत राष्ट्रीय आय कृषि से प्राप्त हुई थी जबकि 1968 69 में 44.4 प्रतिशत राष्ट्रीय आय कृषि से प्राप्त हुई थी।
2. आजीविका का प्रमुख स्त्रोत- भारत में कृषि आजीविका का प्रमुख स्त्रोत है 2011 ईस्वी में संपूर्ण जनसंख्या का लगभग 58 प्रतिशत भाग कृषि एवं संबंधित प्रश्नों से अपनी आजीविका प्राप्त करता था देश की कुल जनसंख्या का 77. 3 प्रतिशत भाग गांव में रहता है और गांव में मुख्य व्यवसाय कृषि है।
3. सार्वजनिक भूमि का उपयोग- कृषि में देश के भुज क्षेत्र का सर्वाधिक भाग प्रयोग किया जाता है उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार कुल क्षेत्र के 49.8 प्रतिशत भाग पर खेती की जाती है।
4. खाद्यान्न की पूर्ति का साधन- कृषि देश 103 करोड़ (2011 की जनगणना के अनुसार 121 करोड़) जनसंख्या को भोजन तथा 36 करोड़ पशुओं को चारा प्रदान करती है भारतीय कृषि उत्पादों का उत्पादन का ही अधिक मात्रा में उपयोग करते हैं।
5. औधोगिक कच्चे माल की पूर्ति का साधन- देश के महत्वपूर्ण उद्योग कच्चे माल पर ही निर्भर है सूती वस्त्र चीनी जूट वनस्पति तेल चाय व काफी इसके प्रमुख उदाहरण है।
6. पशु पालन में सहायक- हमारे कृषक पशुपालन कार्य एक सहायक धंधे के रूप में करते हैं कृषि तथा पशुपालन उद्योग एक दूसरे के पूरक तथा सहायक व्यवसाय कृषि पशुओं को चारा प्रदान करती है और पशु कृषि को खाद प्रदान करते हैं जिससे कृषि उत्पादन में वृद्धि होती है।
7. केंद्र तथा राज्य सरकारों की आय का साधन- कृषि क्षेत्र पर कर का भार अधिक नहीं होता तथापि कृषि राजस्व का महत्वपूर्ण स्त्रोत है इसके अतिरिक्त कृषि वस्तुओं के निर्यात कर से की आय प्राप्त होती है केंद्रीय सरकार के उत्पादन शुल्क का एक बहुत बड़ा भाग चाय तंबाकू तिलहन आदि फसलों से प्राप्त होता है ।
8. पंचवर्षीय योजनाओं के मुख्य आधारशिला- हमारा स्वय का अनुभव इस तथ्य की पुष्टि करता है कि कृषि को उचित स्थान प्रदान किए बिना आर्थिक विकास की हमारी कोई भी योजना सफल नहीं हो सकती यही कारण है कि प्रथम योजना में कृषि को सर्वोच्च स्थान दिया गया था वर्तमान में कृषि एवं ग्रामीण विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है इस प्रकार स्पष्ट है कि भारतीय कृषि देश से संबंधित आर्थिक विकास अंतर्देशीय एवं अंतर्राष्ट्रीय व्यापार उद्योग एवं जनता के आर्थिक जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखती है।
***भारतीय अर्थव्यवस्था में कृषि के महत्व का अनुमान निम्नलिखित तथ्यों से लगाया जा सकता है। ***
1. राष्ट्रीय आय में योगदान - भारत की राष्ट्रीय आय का सर्वाधिक अंश कृषि संबंधी व्यवसायों से ही प्राप्त होता था आयोजन काल में इस में निरंतर कमी आई है 2012 13 में लगभग 21 प्रतिशत राष्ट्रीय आय कृषि से प्राप्त हुई थी जबकि 1968 69 में 44.4 प्रतिशत राष्ट्रीय आय कृषि से प्राप्त हुई थी।
2. आजीविका का प्रमुख स्त्रोत- भारत में कृषि आजीविका का प्रमुख स्त्रोत है 2011 ईस्वी में संपूर्ण जनसंख्या का लगभग 58 प्रतिशत भाग कृषि एवं संबंधित प्रश्नों से अपनी आजीविका प्राप्त करता था देश की कुल जनसंख्या का 77. 3 प्रतिशत भाग गांव में रहता है और गांव में मुख्य व्यवसाय कृषि है।
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Agriculture economy |
3. सार्वजनिक भूमि का उपयोग- कृषि में देश के भुज क्षेत्र का सर्वाधिक भाग प्रयोग किया जाता है उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार कुल क्षेत्र के 49.8 प्रतिशत भाग पर खेती की जाती है।
4. खाद्यान्न की पूर्ति का साधन- कृषि देश 103 करोड़ (2011 की जनगणना के अनुसार 121 करोड़) जनसंख्या को भोजन तथा 36 करोड़ पशुओं को चारा प्रदान करती है भारतीय कृषि उत्पादों का उत्पादन का ही अधिक मात्रा में उपयोग करते हैं।
5. औधोगिक कच्चे माल की पूर्ति का साधन- देश के महत्वपूर्ण उद्योग कच्चे माल पर ही निर्भर है सूती वस्त्र चीनी जूट वनस्पति तेल चाय व काफी इसके प्रमुख उदाहरण है।
6. पशु पालन में सहायक- हमारे कृषक पशुपालन कार्य एक सहायक धंधे के रूप में करते हैं कृषि तथा पशुपालन उद्योग एक दूसरे के पूरक तथा सहायक व्यवसाय कृषि पशुओं को चारा प्रदान करती है और पशु कृषि को खाद प्रदान करते हैं जिससे कृषि उत्पादन में वृद्धि होती है।
7. केंद्र तथा राज्य सरकारों की आय का साधन- कृषि क्षेत्र पर कर का भार अधिक नहीं होता तथापि कृषि राजस्व का महत्वपूर्ण स्त्रोत है इसके अतिरिक्त कृषि वस्तुओं के निर्यात कर से की आय प्राप्त होती है केंद्रीय सरकार के उत्पादन शुल्क का एक बहुत बड़ा भाग चाय तंबाकू तिलहन आदि फसलों से प्राप्त होता है ।
8. पंचवर्षीय योजनाओं के मुख्य आधारशिला- हमारा स्वय का अनुभव इस तथ्य की पुष्टि करता है कि कृषि को उचित स्थान प्रदान किए बिना आर्थिक विकास की हमारी कोई भी योजना सफल नहीं हो सकती यही कारण है कि प्रथम योजना में कृषि को सर्वोच्च स्थान दिया गया था वर्तमान में कृषि एवं ग्रामीण विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जा रही है इस प्रकार स्पष्ट है कि भारतीय कृषि देश से संबंधित आर्थिक विकास अंतर्देशीय एवं अंतर्राष्ट्रीय व्यापार उद्योग एवं जनता के आर्थिक जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान रखती है।
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