भारत एक कृषि प्रधान देश है यहां के लोगों का मुख्य व्यवसाय कृषि है भूमि निश्चित ही कृषि उत्पादन का एक साधन है भूमि पर कृषि कार्य करने के लिए किसान को अनेक प्रकार की वस्तुओं की आवश्यकता पड़ती है जिन्हें कृषि Inputs कहते है।
Main Agriculture inputs
1. तकनीकी जानकारी - तकनीकी जानकारी कृषि क्षेत्र की प्रथम निविषिृ है। दूसरे शब्दों में कृषि कार्य करने के लिए कृषि के ढंग एवं विधियों का ज्ञान आवश्यक है कृषि चाहे परंपरागत ढंग से की जाए अथवा आधुनिक ढंग से कृषि कार्य करने की उचित जानकारी होना आवश्यक है उदाहरण के लिए खेती की आधुनिक विधियों का प्रयोग करने के लिए किसान को बीज के प्रकारों उर्वरकों फसल प्रबंधन जल प्रबंध भंडारण फसल बीमा विपणन आदि के बारे में जानकारी होनी आवश्यक है।
2. स्वयं का श्रम - इसका अर्थ है कृषक का स्वयं का एवं उसके परिवार के सदस्यों का श्रम दूसरे शब्दों में कृषक कृषि कार्य में अपना व अपने परिवार के अन्य सदस्यों के श्रम का उपयोग करता है यहां तक कि इनकी संख्या कार्य की आवश्यकता से भी अधिक हो जाती है यह श्रम की कृषि में अदृश्य बेरोजगारी का कारण बनता है।
3. भाड़े का श्रम- मजदूरी पर रखे गए श्रम को भाड़े का श्रम कहते हैं कृषि कार्य में भाड़े का श्रम महत्वपूर्ण होता है जिन कृषकों के पास भूमि की मात्रा अधिक होती है उन्हें बड़ी मात्रा में भाड़े के श्रमिकों की आवश्यकता पड़ती है भाड़े के श्रमिकों का भारत में कोई नियमित संगठित बाजार नहीं है अतः उन्हें कम मजदूरी दी जाती है और मजदूरी भी मुद्रा के रूप में न देकर वस्तु अनाज कपड़ा के रूप में दी जाती है तथा कभी-कभी उनसे बद्दुआ के रूप में भी कार्य के लिए लाया जाता है इन श्रमिकों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होती।
4. पशुधन- पशुधन बैल भैंस ऊंट कृषि में सदैव से ही एक महत्वपूर्ण सहायक रहे हैं पशु धन किसान की भूमि की जुताई सिंचाई फसल एवं चारे को लाने ले जाने में सहायता पहुंचाता है वास्तव में विभिन्न कृषि परिवारों के वर्गीकरण का एक आधार उनके पास उपलब्ध पशुधन की संख्या और किस्म भी है आंकड़े बताते हैं कि धनी परिवारों के पास पशुओं की कुल संख्या का 36% और भैंसों का 38 प्रतिशत है मूल्य की दृष्टि से इनका भारत की कुल भैसों एवं पशु संपत्ति के 40% से भी अधिक पर स्वामित्व है।
5. कृषि उपकरण- कृषि में अन्य महत्वपूर्ण सहायक कृषि उपकरण उपस्कर एवं मशीनरी है इनमें लकडी और लोहे के परंपरागत हलो से लेकर आधुनिक कृषि यंत्र जैसे पंप ट्रैक्टर ट्रक मोटर चालित वाहन आदि सम्मिलित हैं संपन्न किसानों के पास यह उपकरण एवं उपस्कर ने केवल अधिक मात्रा में उपलब्ध है अपितु उनके पास अधिक से अधिक मूल्यवान आधुनिक प्रकार के यंत्र हैं आंकड़े बताते हैं कि हमारे यहां सार्वधिक अमीर 10% किसानों के पास विद्युत चालित पॉप एवं ट्रैक्टर का 73 % से अधिक कृषि मशीनरी का 7% से अधिक और ग्रामीण परिवहन उपस्करों का 50% से भी अधिक है।
Main Agriculture inputs
1. तकनीकी जानकारी - तकनीकी जानकारी कृषि क्षेत्र की प्रथम निविषिृ है। दूसरे शब्दों में कृषि कार्य करने के लिए कृषि के ढंग एवं विधियों का ज्ञान आवश्यक है कृषि चाहे परंपरागत ढंग से की जाए अथवा आधुनिक ढंग से कृषि कार्य करने की उचित जानकारी होना आवश्यक है उदाहरण के लिए खेती की आधुनिक विधियों का प्रयोग करने के लिए किसान को बीज के प्रकारों उर्वरकों फसल प्रबंधन जल प्रबंध भंडारण फसल बीमा विपणन आदि के बारे में जानकारी होनी आवश्यक है।
2. स्वयं का श्रम - इसका अर्थ है कृषक का स्वयं का एवं उसके परिवार के सदस्यों का श्रम दूसरे शब्दों में कृषक कृषि कार्य में अपना व अपने परिवार के अन्य सदस्यों के श्रम का उपयोग करता है यहां तक कि इनकी संख्या कार्य की आवश्यकता से भी अधिक हो जाती है यह श्रम की कृषि में अदृश्य बेरोजगारी का कारण बनता है।
3. भाड़े का श्रम- मजदूरी पर रखे गए श्रम को भाड़े का श्रम कहते हैं कृषि कार्य में भाड़े का श्रम महत्वपूर्ण होता है जिन कृषकों के पास भूमि की मात्रा अधिक होती है उन्हें बड़ी मात्रा में भाड़े के श्रमिकों की आवश्यकता पड़ती है भाड़े के श्रमिकों का भारत में कोई नियमित संगठित बाजार नहीं है अतः उन्हें कम मजदूरी दी जाती है और मजदूरी भी मुद्रा के रूप में न देकर वस्तु अनाज कपड़ा के रूप में दी जाती है तथा कभी-कभी उनसे बद्दुआ के रूप में भी कार्य के लिए लाया जाता है इन श्रमिकों की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होती।
4. पशुधन- पशुधन बैल भैंस ऊंट कृषि में सदैव से ही एक महत्वपूर्ण सहायक रहे हैं पशु धन किसान की भूमि की जुताई सिंचाई फसल एवं चारे को लाने ले जाने में सहायता पहुंचाता है वास्तव में विभिन्न कृषि परिवारों के वर्गीकरण का एक आधार उनके पास उपलब्ध पशुधन की संख्या और किस्म भी है आंकड़े बताते हैं कि धनी परिवारों के पास पशुओं की कुल संख्या का 36% और भैंसों का 38 प्रतिशत है मूल्य की दृष्टि से इनका भारत की कुल भैसों एवं पशु संपत्ति के 40% से भी अधिक पर स्वामित्व है।
5. कृषि उपकरण- कृषि में अन्य महत्वपूर्ण सहायक कृषि उपकरण उपस्कर एवं मशीनरी है इनमें लकडी और लोहे के परंपरागत हलो से लेकर आधुनिक कृषि यंत्र जैसे पंप ट्रैक्टर ट्रक मोटर चालित वाहन आदि सम्मिलित हैं संपन्न किसानों के पास यह उपकरण एवं उपस्कर ने केवल अधिक मात्रा में उपलब्ध है अपितु उनके पास अधिक से अधिक मूल्यवान आधुनिक प्रकार के यंत्र हैं आंकड़े बताते हैं कि हमारे यहां सार्वधिक अमीर 10% किसानों के पास विद्युत चालित पॉप एवं ट्रैक्टर का 73 % से अधिक कृषि मशीनरी का 7% से अधिक और ग्रामीण परिवहन उपस्करों का 50% से भी अधिक है।
Comments
Post a Comment