Accounting, लेखाशास्त्र क्यों और कैसे.
जब लेखापालों को कोई समस्या अनुभव हुई उन्होंने समस्याओं का हल ढूंढ निकाला उस हल को अन्य लेखपालों की स्वीकृति मिल गई तो यह नियम या सिद्धांत बन गया और जब इन्हें मान्यता प्राप्त हो गई तो यह नियम की अवधारणा के नाम से विख्यात हुए ।
लेखाशास्त्र मानव द्वारा निर्मित विज्ञान होने के कारण इसके सिद्धांत भी मानव निर्मित ही हैं इस विज्ञान में कुछ सिद्धांतों निश्चित है अब कुछ अनिश्चित हैं जिनके बारे में लेखपालों में मतैक्य नहीं है यह निश्चित सिद्धांत परिस्थितियों एवं आवश्यकतानुसार अपनाया छोड़े जा सकते हैं अथवा समय और परिस्थिति अनुसार परिवर्तित भी किए जा सकते हैं।
![]() |
Accounting |
लेखाशास्त्र के सिद्धांत अन्य प्राकृतिक विज्ञानों के सिद्धांतों के सम्मान पूर्णतया सही निश्चित समय सिद्धासन मान्य नहीं है और ना ही इनकी प्रमाणिकता की जांच प्रयोगशाला में प्रयोगों के द्वारा की जा सकती है लेखा विधि के सिद्धांत व व्यापक स्वीकृति के आधार पर ही अपये जाते हैं ना कि सर्व मान्यता के आधार पर व्यापक स्वीकृति का आधार निम्न कसौटियों पर सही उत्तर ना चाहिए।
1. उपयोगी या अर्थपूर्ण - एक सिद्धांत व नियम तब उपयोगी माना जाता है जबकि उसे अपनाने से हमारे उद्देश्य की पूर्ति होती है।
2. विषमजन्यता- विषमजन्यता का अभिप्राय है कि सिद्धांत के प्रयोग से जो सूचनाएं उपलब्ध होती हैं वह व्यक्तिगत निर्णय या पक्षपात से प्रभावित नहीं है।
3. साध्यता- साध्यता का अभिप्राय है कि जिस सिद्धांत को प्रयोग में लाया जाएगा वह न तो विशेष जटिलता तथा न अतिरिक्त व्यय के कारण अपनाया जा सकेगा। ***
Thanku sir
ReplyDelete