Auditing
(अंकेक्षण)
***Auditing क्या है
पहले समय में जब व्यवसाय के स्वामी हिसाब किताब की पुस्तकों में गड़बड़ी एव गबन की संभावना समझते थे तो वह कुछ व्यक्तियों को खाते की जांच हेतु नियुक्त करते थे यह व्यक्ति लेखापालों को बुलवा देते लेखापाल अपनी लेखा पुस्तकों को लेकर न्यायाधीशों के समक्ष उपस्थित होते थे अब उन्हें अपनी पुस्तकों में अंकित प्रविष्टियों को पढ़ कर सुनाते थे न्यायाधीश इन पुस्तकों को सुनने के बाद अपना निर्णय देते थे यदि वह इन लेखों से संतुष्ट हो जाते थे तो उन लेखों को सत्यापित मान लिया जाता था इस प्रकार यह न्यायाधीश ही अंकेक्षण (Auditor) कहलाते थे।
***Auditing पहली बार आरम्भ हुई
सन 1494 में इटली निवासी ल्यूका पेसिओली ने प्रथम बार बहीखाते की दोहरा लेखा प्रणाली पर अपना लेख प्रकाशित किया इस लेख में उन्होंने अंकेक्षक के कर्तव्य एवं उत्तरदायित्व का भी वर्णन किया उस समय अधिकांश लेनदेन नगद रूप में होते थे अतः अंकेक्षक का आशय रोकड़ की जांच से लगाया जाता था कि वह सही है अथवा नहीं परंतु वर्तमान समय में अंकेक्षक शब्द का प्रयोग विस्तृत रूप में किया जाता है
***अंकेक्षक का उद्देश्य रोकड़ व्यवहारों की जांच के साथ-साथ एक संस्था के आर्थिक स्थिति का भी सत्यापन करना होता है जो उसके लाभ हानि खाते तथा चिट्ठे से प्रकट होती है उनको कुछ शब्दों में स्पष्ट करना संभव नहीं है क्योंकि लेखाकर्म के विकास के साथ-साथ शिक्षण की परिभाषाएं भी समय समय पर बदलती रहती है विभिन्न विद्वानों ने अंकेक्षण को अनेकों परिभाषाओं में परिभाषित किया है
(अंकेक्षण)
***Auditing क्या है
पहले समय में जब व्यवसाय के स्वामी हिसाब किताब की पुस्तकों में गड़बड़ी एव गबन की संभावना समझते थे तो वह कुछ व्यक्तियों को खाते की जांच हेतु नियुक्त करते थे यह व्यक्ति लेखापालों को बुलवा देते लेखापाल अपनी लेखा पुस्तकों को लेकर न्यायाधीशों के समक्ष उपस्थित होते थे अब उन्हें अपनी पुस्तकों में अंकित प्रविष्टियों को पढ़ कर सुनाते थे न्यायाधीश इन पुस्तकों को सुनने के बाद अपना निर्णय देते थे यदि वह इन लेखों से संतुष्ट हो जाते थे तो उन लेखों को सत्यापित मान लिया जाता था इस प्रकार यह न्यायाधीश ही अंकेक्षण (Auditor) कहलाते थे।
***Auditing पहली बार आरम्भ हुई
सन 1494 में इटली निवासी ल्यूका पेसिओली ने प्रथम बार बहीखाते की दोहरा लेखा प्रणाली पर अपना लेख प्रकाशित किया इस लेख में उन्होंने अंकेक्षक के कर्तव्य एवं उत्तरदायित्व का भी वर्णन किया उस समय अधिकांश लेनदेन नगद रूप में होते थे अतः अंकेक्षक का आशय रोकड़ की जांच से लगाया जाता था कि वह सही है अथवा नहीं परंतु वर्तमान समय में अंकेक्षक शब्द का प्रयोग विस्तृत रूप में किया जाता है
***अंकेक्षक का उद्देश्य रोकड़ व्यवहारों की जांच के साथ-साथ एक संस्था के आर्थिक स्थिति का भी सत्यापन करना होता है जो उसके लाभ हानि खाते तथा चिट्ठे से प्रकट होती है उनको कुछ शब्दों में स्पष्ट करना संभव नहीं है क्योंकि लेखाकर्म के विकास के साथ-साथ शिक्षण की परिभाषाएं भी समय समय पर बदलती रहती है विभिन्न विद्वानों ने अंकेक्षण को अनेकों परिभाषाओं में परिभाषित किया है
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