व्यावसायिक संचार ( business communication).
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Communications |
1 व्यवसायिक संचार : संचार शब्द कि उत्पत्ति लैटिन भाषा के COMMUNICARE से हुई है ा जिस का आशय है ा समझना या जानना ा अत संचार से आशय सुचनाओ; तत्थो, विचारो एवं भावनाओ को समझना या जानना है जो बोलकर ,लिखकर अथवा सांकेतिक भाषा मे हो सकता है ा संचार वह साधन है जिसमे सगठित िक्रया दूारा तत्थो, सूचनाओं ,विचारो ,विकल्पो एव निण्ियो का दो या अधिक व्यक्ितयो के मध्य अथवा व्यावसायिक उपक्रमो के मध्य आदान प्रदान होता है व्यावसायिक सम्प्रेषण (संचार) का अर्थ ( meaning of business communication). व्यवसाय के संचालन के लिये व्यवसायी को अनेक व्यक्तियों से सम्पर्क रखना पड़ता है तथा निरन्तर अपने कर्मचारियों ,ग्राहकों तथा अन्य व्यक्तियों से संवाद करना पड़ता है ा संवाद की इसी प्रक्रिया को ही व्यावसायिक संचार कहा जाता है ावर्तमान प्रगतिशील युग मे संचार व्यवसाय का मुख्य अंग है .व्यवसाय की कोई भी प्रकिया जैसे उपभोक्ता को उत्पात के बिषय मे जानकारी देने की हो या अपने कर्मचारीयो मे कार्य विभाजन व उसकी समीझा करने की हो ,विना संचार के सम्पन नही होता है.- न्यूमर व समर के अनुसार ,"सम्पे्रषण दो या दो से अधिक व्यक्तियों के मध्य तत्थो ,विचारो का आदान प्रदान है लुईस ए० ऐलन के अनुसार ,"सन्देश वाहन उन सब क्रियाओ का योग है जिनको एक व्यक्ति ,अपनी विचारधारा को दूसरे व्यक्ति के मस्तिष्क मे पहुँचाने के लिए अथवा उसे समझने के लिए अपनाता है ा इसके अन्तर्गत कहने ,सुनने तथा समझाने की व्यवस्थित एवं निरन्तर क्रियाओ का समावेश होता है ा". संचार की बिशेषताएँ (CHARACTERISTICS OF COMMUNICATION). १. संचार मे कम से कम दो व्यक्ति होते है--- संचार मे दो व्यक्तियों अथवा समूहो के मध्य सन्देश का आदान प्रदान होता है वह व्यक्ति जो वोलता ,लिखता या दिशा निर्देश देता है उसे सम्प्रेषक तथा जो व्यक्ति इन सन्देशो को सुनता है, प्राप्त करता है उसे सम्प्रेषणग्राही कहा जाता है. २. संचार एक सतत् प्रक्रिया है --- व्यावसायिक संचार निरन्तर चलने वाली प्रक्रिया है क्योकि कर्मचारियो ,ग्राहको ,सरकार आदि बाह्ा एवं आन्तरिक पळो के मध्य सन्देश के आदान प्रदान की प्रक्रिया निरन्तर चलती रहती है . ३. संचार दिूमार्गी प्रक्रिया है --- सन्देश प्राप्त करने पर ही संचार प्रक्रिया पूर्ण नही होती है जब तक कि सन्देश प्राप्त कर्ता सन्देश भेजने वाले के सही अर्थ भाव को नही समझता एवं अपनी प्रतिक्रिया अथवा अपनी प्रतिपुष्टि सन्देश प्रेषक को प्राप्त नही करता ा अतः सन्देश दोहरा आदान प्रदान है ,न कि एक तरफा ".|
4. सन्देश की अनिवार्यता--- बिना संदेश के संचार नही हो सकता है, अत: संचार में सन्देश का होना जरुरी है । यदि सन्देश नही है तो संचार नहीं हो सकता है